जमातियों के ख़िलाफ़ की गई FIR को बॉम्बे HC ने किया खारिज, कहा- इन्हें बलि का बकरा बनाया गया था।
तब्लीगी जमात के 29 विदेशी नागरिकों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया। दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ के एक कार्यक्रम में शिकरत करने वाले इन विदेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ आईपीसी की विभिन्न प्रावधानों, महामारी रोग अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी कानून के उल्लंघन के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
विदेशी नागरिकों के सिवा पुलिस ने 6 भारतीय नागरिकों और के मस्जिद के ट्रस्टी के खिलाफ़ भी केस दर्ज किया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कई सख़्त टिप्पणियां भी कीं। कोर्ट ने कहा कि सरकार और मीडिया ने इन जमातियों को बलि का बकरा बनाया।
दरअसल, कोर्ट में विदेशी नागरिकों द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। जिसपर बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई की।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि वे भारत सरकार द्वारा जारी किए गए वैध वीज़े पर भारत आए और यहां उन्हें भारतीय संस्कृति, परंपरा, आतिथ्य और भारतीय भोजन का अनुभव हुआ। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे पर पहुंचने पर, उनका कोविड टेस्ट किया गया और जब उन्हें टेस्ट में निगेटिव पाया गया, तो उन्हें हवाई अड्डे से बाहर जाने की अनुमति मिली।
इसके अलावा, उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक को अहमदनगर जिले में आने की सूचना दी थी। 23 मार्च के बाद से लॉकडाउन के कारण, वाहनों की आवाजाही बंद कर दी गई थी, होटल और लॉज बंद कर दिए गए थे, जिसके चलते मस्जिद ने उन्हें आश्रय दिया था। वे जिला कलेक्टर के आदेश के उल्लंघन सहित अवैध गतिविधि में शामिल नहीं थे।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमात में शामिल होने वाले 29 विदेशी नागरिकों सहित देश के 6 लोगों के खिलाफ़ दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया।साथ ही मीडिया को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, ‘दिल्ली के मरकज में आए विदेशी लोगों के खिलाफ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बड़ा प्रॉपेगेंडा चलाया गया।
ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई, जिसमें भारत में फैले Covid-19 संक्रमण का जिम्मेदार इन विदेशी लोगों को ही बनाने की कोशिश की गई। तबलीगी जमात को बलि का बकरा बनाया गया’।
हाई कोर्ट बेंच ने पुलिस और सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा, “भारत में संक्रमण के ताजे आंकड़े दर्शाते हैं कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ऐसे ऐक्शन नहीं लिए जाने चाहिए थे। विदेशियों के खिलाफ जो ऐक्शन लिया गया, उस पर पश्चाचाताप करने और क्षतिपूर्ति के लिए पॉजिटिव कदम उठाए जाने की जरूरत है”।