भारत में पहली बार मंकीपाक्स का एक संदिग्ध मामला केरल से आया सामने,यूएई से लौटा था यात्री
भारत में पहली बार मंकीपाक्स का एक संदिग्ध मामला केरल से सामने आया है। विदेश से लौटे व्यक्ति में मंकीपाक्स के लक्षण दिखने के बाद उसे केरल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने गुरुवार को यहां यह जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने आज कहा कि यात्री के नमूने पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी को परीक्षण के लिए भेजे गए हैं, परीक्षण के परिणाम प्राप्त होने के बाद ही मामले की पुष्टि की जा सकती है।
अधिक विवरण का खुलासा किए बिना, जार्ज ने कहा कि उस व्यक्ति में मंकीपाक्स के लक्षण थे और वह अपने विदेश यात्रा पर एक मंकीपाक्स रोगी के निकट संपर्क में थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मंकीपाक्स एक वायरल ज़ूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस) है, जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है।
मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक चलने वाले लक्षणों के साथ एक आत्म-सीमित बीमारी है।
मंकीपॉक्स वायरस घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और बिस्तर जैसी दूषित सामग्री के निकट संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
आपको बता दें कि ब्रिटेन, जर्मनी व इटली सहित कई देशों में मंकीपाक्स के केस मिल चुके हैं। हालांकि भारत में इस बीमारी से पीड़ित मरीज सामने नहीं आया है, पर केंद्र सरकार एहतियात के तौर पर ट्रेसिग, ट्रीटमेंट व टेस्टिग की प्रक्रिया शुरू कर रही है। आइसीएमआर ने देश की 15 प्रमुख प्रयोगशालाओं में मंकीपास्क की टेस्टिंग को स्वीकृति दी है। इसमें सरकारी मेडिकल कालेज स्थित वायरोलाजी लैब भी शामिल है।